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कार्तिकस्वामी मंदिर - Kartik Swami Temple
Rudraprayag
(Uttarakhand)
6 AM - 7 PM
Darshan Time
102Km
Haridwar = Kartik swami
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Introduction
kartik swami temple - कार्तिकस्वामी मंदिर हिंदू भगवान कार्तिकेय को समर्पित है। जिसे मुर्गान या स्कंदा के नाम से भी जाना जाता है। यह भारत के उत्तराखंड राज्य में रुद्रप्रयाग जिले के अंदर आता है। यह हरिद्वार से 102km की दूरी पर और देहरादून से 103km की दूरी पर है। यह पहाड़ी के टॉप पर बसा एक मंदिर है, जहां से चारों तरफ कमाल के नजारे देखने को मिलते हैं। यहां सालभर बहुत लोग घूमने व भगवान कार्तिकेय के दर्शन करने आते हैैं। भगवान कार्तिकेय युद्ध और विजय के प्रतीक माने जाते हैं। ऐसा माना जाता है इस मंदिर को पांडवों ने बनाया था।
अगर बात करी जाए कार्तिक स्वामी मंदिर के नाम की तो -
ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण पांडवों ने करवाया था और मंदिर भगवान कार्तिक को समर्पित किया था। जिन्होंने महाभारत को जीतने में पांडवा की मदद की थी।
और दूसरी मान्यता यह है कि इस जगह पर एक भक्त जिनका नाम कार्तिकेय था ने तपस्या की थी और भगवान कार्तिक ने इन्हें दर्शन दिए थे इस वजह से इस स्थान का नाम कार्तिकस्वामी पड़ा।
कार्तिक स्वामी मंदिर में दर्शन का समय -
कार्तिक स्वामी की मंदिर के दर्शन सुबह 6:00 बजे से शुरू होते है और 7:00 बजे तक किए जाते हैं।
कार्तिक स्वामी में अगर मौसम की बात की जाए तो यहां 12 महीने ही ठंड महसूस होती है। अधिक हाइट पर होने की वजह से मौसम पल भर में बदल जाता है। आपको हर मौसम में यहां लोगों की भीड़ देखने को मिलेगी।
1- सर्दियों में (अक्टूबर से फरवरी)-
अगर आप कार्तिक स्वामी में बर्फ में इंजॉय करना चाहते हैं तो यह टाइम सबसे अच्छा रहेगा। इस समय यहां हर जगह बर्फ देखने को मिलती है।आपको यहां गर्म कपड़े ले जाने होंगे, क्योंकि इस समय यहां बहुत ठंडा होता है। इस समय की जाने वाली ट्रैकिंग सबसे मुश्किल मानी जाती है।
2- बरसात में (जुलई-सितंबर)
यहां बरसात के मौसम में भी लोग आना पसंद करते हैं।बरसात के मौसम में यहां अनेक तरह के फूल खिलते हैं जो इस जगह को अधिक सुंदर बना देते हैं। बारिश अधिक होने पर रोडब्लॉक की प्रॉब्लम हो सकती है तो आप लोकल्स को पूछ कर ही आगे बढ़े।
3- गर्मियों में (मार्च - जून)
मार्च से जून तक के महीने में यहां जाना सबसे सही रहता है इस समय यहां ज्यादा ठंड नहीं होती है मौसम भी साफ रहता है जो ट्रेकिंग के लिए सबसे सही समय है। चारों तरफ सुंदर नजारे देखने को मिलते हैं।
कार्तिक स्वामी में अगर मेडिकल सुविधा की बात की जाए तो पहाड़ी इलाका होने से यहां मेडिकल की पूरी सुविधाएं नहीं है। ऐसी जगहों पर अपने साथ फर्स्ट एड किट जरूर रखें और मेडिकल इमरजेंसी के लिए हमेशा तैयार रहें।
1- मेडिकल स्टोर
इस इलाके में कुछ मेडिकल स्टोर देखने को मिलते हैं, जिनमें बेसिक मेडिसिन ही रखी जाती हैं।
2- हॉस्पिटल
कार्तिक स्वामी का नजदीकी हॉस्पिटल रुद्रप्रयाग में है रुद्रप्रयाग जो कार्तिक स्वामी का मेन मार्केट है, यह छोटा हॉस्पिटल है जहां पूरी सुविधाएं उपलब्ध नहीं है, सीरियस इंजरी हो जाए तो आपको बड़े हॉस्पिटल जैसे श्रीनगर, देहरादून ही जाना पड़ेगा।
3 - Emergency Service
कार्तिक स्वामी में इमरजेंसी सर्विस की सुविधाएं कम हैं तो आपको इमरजेंसी के लिए तैयार रहना होगा।अपने साथ फर्स्ट एड किट जरूर ले जाएं और कुछ परेशानी होने पर अपने साथी या गाइड को जरूर बताएं।
कार्तिक स्वामी Trek
Dehradun - Haridwar - Rishikesh - Teen Dhara - Dev prayag - Srinagar Rudraprayag - Kankchori Village - Kartikaswami
आप अगर उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से यात्रा कर रहे हैं तो सबसे पहले ऋषिकेश जाना पड़ेगा फिर ऋषिकेश से तीन धारा होते हुए देवप्रयाग से श्रीनगर होते हुए रुद्रप्रयाग से होते हुए कनक चोरी गांव फिर कार्तिक स्वामी।
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कार्तिक स्वामी कैसे कैसे पहुंचे?
आप ड्राइव या राइड करके देहरादून से 220 किलोमीटर का सफर करके कनकचोरी गांव पहुंच सकते हैं। कनकचोरी गांव से 3 किलोमीटर का ट्रैक करके कार्तिक स्वामी पहुंचना होगा।
अगर आप देहरादून से यात्रा कर रहे है तो आपको देहरादून बस स्टेशन से रुद्रप्रयाग तक का सफर बस से तय करना होगा। रुद्रप्रयाग कार्तिक स्वामी का मेन मार्केट है। रुद्रप्रयाग से कनक चोरी गांव तक का सफर टाटा मैक्स/ कार द्वारा तय करना होगा जो रुद्रप्रयाग से 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। कनकचोरी गांव कार्तिक स्वामी का बेस कैंप है। कनक चोरी गांव से 3 किलोमीटर का ट्रैक करके कार्तिक स्वामी पहुंचना होगा।
अगर आप ट्रेन से यात्रा कर रहे हैं तो आपको नजदीकी स्टेशन योग नगरी ऋषिकेश में पड़ेगा। जोकि मेजर सिटी के साथ अच्छे से जुड़ी हुई है। फिर ऋषिकेश से बस द्वारा रुद्रप्रयाग तक का सफर तय करना होगा। रुद्रप्रयाग कार्तिक स्वामी का मेन मार्केट है। रुद्रप्रयाग से कनकचोरी गांव तक का सफर टाटा मैक्स/ कार द्वारा तय करना होगा जो रुद्रप्रयाग से 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। कनकचोरी गांव कार्तिक स्वामी (kartik swami temple) का बेस कैंप है। कनक चोरी गांव से 3 किलोमीटर का ट्रैक करके कार्तिक स्वामी पहुंचना होगा। ऊखीमठ से यह मंदिर 2 किलोमीटर की दूरी पर है। ट्रेन टिकट बुक करने के लिए आपको IRCTC की वेबसाइट पर जाना होगा - GO
आप पेटीएम (PAYTM) से भी अपनी टिकट बुक कर सकते हो - Go
अगर आप हवाई यात्रा कर रहे हैं तो कार्तिक स्वामी से नजदीकी एयरपोर्ट जौली ग्रांट एयरपोर्ट पड़ेगा, जो कि उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में है। देहरादून से बस द्वारा रुद्रप्रयाग तक का सफर तय करना होगा। रुद्रप्रयाग कार्तिक स्वामी का मेन मार्केट है। रुद्रप्रयाग से कनक चोरी गांव तक का सफर टाटा मैक्स/ कार द्वारा तय करना होगा। जो रुद्रप्रयाग से 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। कनकचोरी गांव कार्तिक स्वामी का बेस कैंप है। कनक चोरी गांव से 3 किलोमीटर का ट्रैक करके कार्तिक स्वामी पहुंचना होगा। फ्लाइट टिकट बुक करने के लिए कई वेबसाइट उपलब्ध हैं। जोकि है -
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कार्तिक स्वामी में कहां रुके?
कार्तिक स्वामी में रुकने के बहुत से ऑप्शन हैं, पीक सीजन होने पर यहां होटल्स, लॉज आदि जल्दी भर जाते हैं जिस वजह से आपको पहले ही बुकिंग करानी पड़ेगा।
ये यात्रियों के कंफर्टेबल के हिसाब से बनाए गए हैं यहां हॉट वॉटर , इलेक्ट्रिसिटी की पूरी सुविधाएं होती है ये कैंपिंग के हिसाब से एक्सपेंसिव होते हैं ये पीक सीजन में जल्दी भर जाते हैं इसलिए इनको पहले ही बुक कराना पड़ेगा। होटल बुक करने के लिए कई वेबसाइट उपलब्ध हैं। जोकि है -
कार्तिक स्वामी (kartik swami) के नजदीकी कनकचोली गांव में यात्रियों के लिए होम स्टे खोले गए हैं जिन्हें यहां के लोकल चलाते हैं।होमस्टे हमें यहां के लोगों की दिनचर्या और संस्कृति को जानने में मदद करते हैं।होम स्टे बुक करने के लिए कई वेबसाइट उपलब्ध हैं। जोकि है -
कार्तिक स्वामी (kartik swami) में स्टे करने का एक अच्छा जरिया कैंपिंग का है। इसे सबसे अधिक लोग चुनते हैं। ये कार्तिक स्वामी की नेचुरल वाइब को फील कराता है। यह कंफर्टेबल और रेंट के हिसाब से सही होते हैं।
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कार्तिक स्वामी में मिलने वाले लोकल फूड
अगर बात यहां के लोकल फूड की करें तो यहां भैंजुरे की चटनी, दाल के पराठे,चौंसू, झंगोरा की खीर, मंडुवे की रोटी आदि चीजें मिलती हैं
यह पहाड़ी इलाकों में मिलने वाले सफेद और काले भट्ट(एक प्रकार की दालें) से मिलकर बनाया जाता है इसको चावल के साथ बड़े चाव खाया जाता है।
मंडुवा पहाड़ी इलाके में होने वाली फसल है। इसे एक प्रकार से पहाड़ी आटा कहा जा सकता है, मंडुवे की रोटियों को हरी सब्जी के साथ बड़े चाव से खाया जाता है।
दाल के पराठे की बात की जाए तो ये पहाड़ी इलाकाें में पैदा होने वाली दालों को पीसकर बनाए जाते हैं और हरी सब्जी के साथ बड़े चाव से खाया जाता है।
यह बस पहाड़ी इलाके में होता है पुदीने और प्याज के साथ इसे बारीक पीसा जाता है और रोटी के साथ बड़े चाव से खाया जाता है।
अगर बात की जाए यहां के इलाकों में नॉर्मल खाने की तो दाल, चावल, रोटी , सब्जियां , मैगी आदि चीजें मिलती हैं।
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कार्तिक स्वामी में की जाने वाली एक्टिविटी
कार्तिक स्वामी में चोपता की तरह ही ट्रैकिंग की जाती है। यह रोड से 3 किलोमीटर की दूरी पर है। यहां ट्रेकिंग करना बहुत ही आसान होती है। ट्रैकिंग बुक करने के लिए कई वेबसाइट उपलब्ध हैं। जोकि है -
कार्तिक स्वामी का नजदीकी गांव कनकचोरी गांव है। टूरिस्ट यहां जाकर गांव की सुंदरता तथा लोकेलिटी को जान सकते हैं।
यहां से 360-degree पर हिमालय की श्रेणियां का सुंदर दृश्य दिखाई देता है।इसे हम अपने कैमरे में कैद कर सकते हैं।
कार्तिक स्वामी में पक्षियों की लगभग 100 से ज्यादा प्रजातियां पाई जाती है। यहां तोते, पहाड़ी मैना, मोर तथा कुछ मात्रा में मोनाल देखने को मिलता है
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कार्तिक स्वामी में प्रमुख त्योहार
कार्तिक स्वामी मंदिर में कार्तिक पूर्णिमा त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। यह नवंबर माह में उस दिन मनाया जाता है जब चांद का आकार पूरा होता है। इस दिन यहां स्पेशल पूजा की जाती है। भक्त जनों से ये जगह पूरी भरी रहती है। इस त्योहार में यहां सांस्कृतिक प्रोग्राम का आयोजन किया जाता है जिसमें गाना, नृत्य आदि एक्टिविटी होती हैं।
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कार्तिकस्वामी क्यों जाना जाता है?
1- यह उत्तर भारत में इकलौता कार्तिक भगवान का मंदिर है।
2- कार्तिक स्वामी से सुंदर सनसेट व सनराइज दिखाई देता है।
3- इस स्थान से चौखंबा, केदार कांठा, नीलकंठ, त्रिशूल आदि पर्वतों के सुंदर नजारे देखने को मिलता है।
4- सर्दियों में बर्फ पड़ने के कारण यह जगह चांदी के जैसी चमकने लगती है। जो बहुत अच्छी लगती है।
5- यहां अनेक तरह के जीव जंतु देखने को मिलते हैं।